अंग जल
गजल -३१
— सुधीर कुमार प्रोग्रामर —
झरिया केॅ बोलाबै छै यहाँ बेंग आषाढ़ी
बुतरू सेॅ लोलाबै छै यहाँ बेंग आषाढ़ी।
केना केॅ टपकतै भला खेती लेॅ जे पानी
बादल सेॅ मोलाबै छै यहाँ बेंग आषाढ़ी।
ढक-ढक करै केबाड़ी फोका कभी फूटी
मौसम सेॅेॅ खोलाबै छै यहाँ बेंग आषाढ़ी।
भरलै दरार खेत केॅ, पोखरी मेॅ संघरलै
साँपोॅ सेॅ झोलाबै छै यहाँ बेंग आषाढ़ी।
डुबकी लगाबै आर तेॅ उ पार मेॅ निकलै
पानी केॅ डोलाबै छै यहाँ बेंग आषाढ़ी।
Angika Poetry / Gazal : Ang Jal / अंग जल
Poet : Sudhir Kumar Programmar / सुधीर कुमार प्रोग्रामर
Angika Gazal Collection / अंगिका गजल संग्रह - अंग जल

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