अंग जल
गजल -२६
— सुधीर कुमार प्रोग्रामर —
गजब-गजब केॅ खेल खेलाबै चोर-सिपाही
अजमाबै कि के कत्तेॅ बरजोर सिपाही।
बात-बात मेॅ धमकी, गारी बेढंगा-सन
आफिसर सॅे जादे छै मुहजोर सिपाही।
चार डेग दौड़े ते हपसै कुकुर नांकी
मुरगुनियाँ खेलै लागै कमजोर सिपाही।
कोय बैठी के औंघै कोय बीड़ी फूंकै
मतर कहीं जागै छै भोरम-भोर सिपाही।
कोय फदरै पागल नॉकी उल्टा-सीधा
कोय मीट्ठॉे सन बात सेॅ दै झकझोर सिपाही।
Angika Poetry / Gazal : Ang Jal / अंग जल
Poet : Sudhir Kumar Programmar / सुधीर कुमार प्रोग्रामर
Angika Gazal Collection / अंगिका गजल संग्रह - अंग जल

No comments:
Post a Comment