अंग जल
गजल -२५
— सुधीर कुमार प्रोग्रामर —
हम्में कर्ज उतारै वाला
हुनको दाव सुतारै वाला
लोक-लाज ताखा पर राखी
गाय दुपचता गारै वाला।
अगल-बगल मेॅ मुड़झुलबा
सब बैठी के पुचकारै वाला।
पोथी-पतरा देखी-देखी
जनमै देह झमारै वाला।
भूत उतारै के नामोॅ पर
भूत बनै छै झारै वाला।
Angika Poetry / Gazal : Ang Jal / अंग जल
Poet : Sudhir Kumar Programmar / सुधीर कुमार प्रोग्रामर
Angika Gazal Collection / अंगिका गजल संग्रह - अंग जल

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