अंग जल
गजल -१७
— सुधीर कुमार प्रोग्रामर —
बोलोॅ उगलोॅ साँझ कहाँ छै
गाँधी-खूदीराम कहाँ छै।
साठ साल के आजादी मे
झलकै सचका काम कहाँ छै।
आसाराम जेल मे पड़लोॅ
लेकिन तोता राम कहाँ छै।
फूल-पान सं सजलोॅ-धजलोॅ
हमरोॅ गंगाधाम कहाँ छै।
पैसा पर पानी तक बिक्कै
लेकिन खून के दाम कहाँ छै।
Angika Poetry / Gazal : Ang Jal / अंग जल
Poet : Sudhir Kumar Programmar / सुधीर कुमार प्रोग्रामर
Angika Gazal Collection / अंगिका गजल संग्रह - अंग जल
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