अंग जल
गजल -१६
— सुधीर कुमार प्रोग्रामर —
जल्दी लानोॅ सावन मेघा
सम्बदिया मन-भावन मेघा।
जत्ते सुर्पनखा धरती पर
ओतने राम-खेलावन मेघा।
तरकारी सरकारी दर पर
कैता-झिंगली बावन मेघा।
छपरी पर नय उछलोॅ अखनी
नय सधतै ई दाबन मेघा।
कत्ते कंस, हिरण-कष्यप छै
कत्ते भीतर रावन मेघा।
गंगा यमुना मैली होलै
तोहीं करभोॅ पावन मेघा।
Angika Poetry / Gazal : Ang Jal / अंग जल
Poet : Sudhir Kumar Programmar / सुधीर कुमार प्रोग्रामर
Angika Gazal Collection / अंगिका गजल संग्रह - अंग जल
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