Angika Kavita | अंगिका कविता
नया नियम | Naya Niyam
अरूण कुमार पासवान | Arun Kumar Paswan
नया नियम आबी गेलै गे माय!
शुरुहै सँ होतै आंगिका पढ़ाय!
बैंगन,कैता,परोलो बताय दीहैं,
सब बुझना शुरू करलsजाय!
हिसाबे-किताब आब' नै पढ़ैतौ!
दोसरो सब काम देतौ सिखाय!
खाली सरकारिये नौकरी कैन्हें?
खोजै ल' लागतौ दोसरो उपाय!
नक्शा बनाना फालतुए नै भै छै!
सब रs अलग अलग छै दिमाग!
केकरे मन लागै छै तारा गिनै मँ!
दोसरा क' सागर पसंद भै जाय!
खाली इंजीनियर, डॉक्टर होलँ,
नै सब समसिया हल होय जेतै!
जतना ज़रूरी जवान सीमा प'!
खेतs पर होतने किसान भाय!
जेकरा जे समझs मँ आबै छौ,
वें होकरs बनी जैतैै ओस्ताद!
होकरs सही जघ्घs वह' छेकै,
खाली भिड़ी जाय मन लगाय!
नौकरी भरोसाँ बेरोजगार लोग,
बढ़ले जाय छै देखैं साले साल!
आपनs आपनs रस्ता सब क',
खोजै ल' पड़तै जुगुत भिड़ाय!
काम कोनो छोटs बड़s नै छै!
सोचैे-समझै रs खाली फरक!
नौकरी करी क' कमाब' पैसा!
चाहे बेचs पकौड़ा,चाहे चाय!
अरुण कुमार पासवान
10 सितम्बर,2020
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