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Thursday, September 17, 2020

मकरध्वज | Angika Kavita | Makardhvaj | अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान | Arun Kumar Paswan

 

Angika Kavita | अंगिका कविता
मकरध्वज | Makardhvaj
अरूण कुमार पासवान  | Arun Kumar Paswan


पानी मँ मछरी, नौ-नौ कुटिया बखरा!
हेकरे नाँव छेकै, राजनीति रs नखरा!

तोरा नै कैल्हिहौं,तों त'आपनs जात!
हम्मँ बोलै छेलियै, परमीनs रs बात!
तों त' हरदम बाँटतँ रही छs परसाद!
सब्भे परबs मँ पूजा करला रs बाद!

सुनलियै कि हुनीं त' फिरिये मँ बाँटतै!
मकरध्वज आपनs पूरा जतियारी मँ!
उमेद छै कि छs मैन्हाँ मँ 'आबी जेतै!
आभी त' लागलs छै मतर तैयारी मँ!

आब' कोय केकरो मुँय केनाँ पकड़तै?
थोड़' त' लोघौ रs बात सुनै ल' पड़तै!
कही छै ''बेटा नी बेटी,पैल्हैंं डन्नाडोर"!
गड़लै बिजली-पोल नै,घर-घर इंजोर!

आ हुनीं देतै त' कि तों थोड़े कमज़ोर?
तहूँ त' लगाय देभs आपनs पूरे जोर!
मतर एक बात कैभौं से राखिहs याद!
भरोसs दिहs हाँथs मँ ऐला रs बाद।
                    

अरुण कुमार पासवान

17 सितंबर,2020


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अरूण कुमार पासवान  | Arun Kumar Paswan

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