Angika Kavita | अंगिका कविता
खुली गेलै डलिया | Khuli Gelai Daliya
रामचंद्र घोष | Ramchandra Ghosh
खुली गेलै डलिया
बच्चा - बुतरू सिनीं के
मिललै परसाद !
गोड़ छूबी - छूबी
सभें लेलकै हुलसी के
माय के आशीर्वाद !
घौर - दुआरी मँ सजलै
बोधनौमी के कलसौ
भोरे - भोर आय !
पड़ी गेले महारानी के
नेतौ - लियौन - सिनूर
गीत गाय - गाय !
चलौ मिली भिंड़ी जा
देवी पूजा के तैयारी मँ
जल्दी सँ दुर्दिन जाय !
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खुली गेलै डलिया | Khuli Gelai Daliya
रामचंद्र घोष | Ramchandra Ghosh
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