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Sunday, August 23, 2020

तोरौ अमरित पीलाँ | Angika Kavita | अंगिका कविता | रामचन्द्र घोष | Torow Amrit Pilown | Angika Poetry | Ramchandra Ghosh


तोरौ अमरित पीलाँ | अंगिका कविता | रामचन्द्र घोष
Torow Amrit Pilown | Angika Kavita  | Ramchandra Ghosh


तोरौ सूचा अमरित ढकढक पीलाँ
हमरौ मरलौ मोंन होय गेलै धन्न !
तोरौ परेम हमरौ परान में समेलै
जागलै नैं जानों कोन जन्म के पुन्न !

दसो दिस झर - झर झरै परकास
जगमग जगमग सभे धरती - अकास
टुटी गेलै दिग - दिगन्त के गाँठ
गुँजलै सगरो निरमल आनंद - गान !

तोरौ परेम छुवन सें जागलै ई परान
तोरौ गन्ध - रस से मिटलौ पियास
तों अपनाय के हमरौ सब दुख हरला
आनंद अमरित से लबालब जीवन !

आपनो कल्यान - रस - सरोवर में डुबाय
करी देलौ हमरौ जिनगी के कायाकल्प
कमल नांकी हुलसी खिललै हिरदय
तोरौ देलौ सब कुछ तोरै समरपित !

सोनों रं फुटलै लाली होलै विहान
छुटलै हमरौ अलसैलौ आँखीं के पपड़ी
हेरै छी हम्में सौंसे भुवन तक करुणेश
सब फंदा काटी हमरौ जिनगी उबारला !


**************
सौजन्य : गीतांजलि ( कवींद्र रवीन्द्र )
अंगिका अनुवाद : रामचन्द्र घोष

तोरौ अमरित पीलाँ | अंगिका कविता | रामचन्द्र घोष
Torow Amrit Pilown | Angika Poetry | Ramchandra Ghosh

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