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Sunday, August 30, 2020

बेटी बचाबs,बेटी पढ़ाबs | Angika Kavita | अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान | Beti Bachabow Beti Padhabow |Arun Kumar Paswan

 


बेटी बचाबs,बेटी पढ़ाबs | अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान
Beti Bachabow Beti Padhabow | Angika Kavita |Arun Kumar Paswan


'बेटी बचाबs बेटी पढ़ाबs',नारा लगैला सँ की होतै?
मकसद पूरा होतै तखनी,जखनी सही जोर लागतै!

मुँह मँ राम बगलs मँ छुरी,ऐन्हों बिचारँ कुछ नै देतै!
मन,करम एक राखभs त',जे बोलभs निच्चय भेतै!

नैका कानूनs सँ बपौती मँ,बेटी बराबर हिस्सा पैतै!
उमेद करs हेकरा भाय सिनी,खुशी-खुशी अपनैतै!

बेटा-बेटी मँ कोय अंतर नै,जब' समाजँ सुकारी लेतै,
आदमीयत जीबी उठतै,लोगँ अपना क' सुधारी लेतै!

पुतहू क' सासँ बेटी बनैतै,त' पुतौहँ बेटी बनी देखैतै,
सुख-शांति बसतै घरs मँ,घर देखीहs स्वर्ग भै जैतै!

एक्को सोच बदलला पर,समाजs मँ  बदलाव ऐतै,
समझी क' बेटी रs मोल,बेटी पढ़ैतै आ बेटी बचैतै!
                                    अरुण कुमार पासवान
                                       24 अगस्त,2020 

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