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Tuesday, August 25, 2020

बूहो क | Angika Kavita | अंगिका कविता | अंजनी कुमार शर्मा | Boohow Ka| Angika Poetry | Anjani Kumar Sharma

बूहो क | अंगिका कविता | अंजनी कुमार शर्मा
Boohow Ka | Angika Kavita| Angika Poetry | Anjani Kumar Sharma



समझलकै बूहो क सबदिन लोग दुधारु गाय
देलकै गांव,घर,शहर पानिये से अघाय ।

पानिये से अघाय,केना जान अब बचतै ।
सुखा आरो सुखाङ, सें हाहाकार मचतै ।

जानवर ले कुच्छू, नै बचलै कहीं चारा।
नेता गुमनाम छै,केना बनतै सहारा।

बूहो क | अंगिका कविता | अंजनी कुमार शर्मा
Boohow Ka| Angika Poetry | Anjani Kumar Sharma

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