भादौ | अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान
Bhadow | Angika Kavita | Angika Poetry | Arun Kumar Paswan
झर झमाझम पड़' लाग',त' मानs कि भादs छै!
कच्ची रs त बाते अलग,रोडs प' भी कादs छै!
काँहीं कर' बेंगबा टर-टर,काँहीं झींगुर छेड़' तान!
खेते-खेत बौगला घूर',जोकटी रs लै क' धियान!
रोपs हुअ',खेत भर' किसानs रs मन हरियाब'!
खूब गैढ़s नींद लाग' अगहनs रs सपना आब'!
चिंता-फिकिर हुअ' दूर,मनs मँ फूट' लड्डू-चार!
जी कर' मल्हार गैयै आरो खैयै खूब सत्तू-अंचार!
धिया-पुता उमक',जे एंगन्हैं मँ पोखर भेंटी जाय!
दौड़ी-दौड़ी भाग' हरदम',माय-बहिन हारी जाय!
गर-गिरहस्थ,मर-मजदूर,सब रह' सगरे बियस्त!
माल-जाल, चिड़िया-मैना,सब कोय लाग' मस्त!
मतर है रंग बोहs नै आब',काल बनी नै सताब'!
बरस' बस जरूरत भर त' बरसात सब के'भाब'!
ठनका नै गिराबs परभु,हेन्हैं त' परान आधsछै!
झर झमाझम पड़' लाग',त' मानs कि भादs छै!
अरुण कुमार पासवान
19 अगस्त,2020
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