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Sunday, June 28, 2020

लगाबो पार! | अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान | Lagabow Paar | Angika Kavita | Arun Kumar Paswan

 

लगाबो पार! | अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान
Lagabow Paar | Angika Kavita | Arun Kumar Paswan


तेरासी लोग क्षन्हैं में पार,नै सर्दी,नै बोखार!
मॉनसून नै,परलय ऐलै,जे भेलै बज्र-प्रहार।

है की करै छो परभु!कैन्हें दै छो है रंग मार?
धरती पर भैये रैल्हो छै,सरंग सँ भी है वार?

तिरपन ठो घायल पर,दया राखिहो सरकार!
बड्डी मुश्किल में,फंसी जाय छै पर-परिवार।

दू-चार लाख,लोगो के,भल्हें दै देतै सरकार!
पैसा रो की मोल?भै जाय जबे सूनो संसार!

सब न' बड़ा असरा सँ,करी रैल्हो छी पुकार!
डूबी रैल्हो नैया परभु!आबी के लगाबो पार!
                            
अरुण कुमार पासवान
    26 जून,2020

लगाबो पार! | अंगिका कविता | अरूण कुमार पासवान
Lagabow Paar | Angika Kavita | Arun Kumar Paswan

 



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