तिलकामाँझी
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चौदहमा सर्ग ()
— हीरा प्रसाद हरेंद्र —
वीर कर्ण के अंग भूमि पर,
योह सब बलधारी छै।
देखोॅ अंग्रेजऽ के खातिर,
पड़लऽ सब दिन भारी छै।। 1।।
मुश्लिम शासन जखनी छेलै,
पहाड़िया छेलै राजा।
अंग्रेजें गाड़ै लेॅ चाहै,
आबी क॑ अपनोॅ धाजा।। 2।।
दस-पांच पुश्त पहाड़िया के,
अंग्रेजऽ सें लड़लऽ छै।
आजादी के खातिर सब्भे,
पारा-पारी मरलऽ छै।। 3।।
डिग्गन, शिब्बू, तिलका,
नीना, अंग्रेजऽ क॑ मारै छै।
जान बचै तक युह॑ केरऽ,
आगिन म॑ घी ढारै छै।। 4।।
इतिहास अगर इंसाफ करै,
बतलाबेॅ भारतवासी क॑।
आजादी के युह् भयंकर,
सतरह सौ चौरासी क॑।। 5।।
बिगुल बाजलऽ रहै ÿान्ति के,
वही समय म॑ जानी लेॅ।
पहाड़िया आन्दोलन छेकै,
आजादी के मानी लेॅ।। 6।।
अट्ठारह सौ संतावन क॑,
युह् भयंकर होलऽ छै।
≈ युह॑ के बीज सही म॑,
पहाड़िया के बोलऽ छै।। 7।।
तिलका मांझी के मरला पर,
पहाड़िया नरमाबै छै।
देश-विदेशें तिलका मांझी,
वीर पुरुष कहलावै छै।। 8।।
सुलतानगंज के निकट पहाड़ी,
शाहकुण्ड कहलाबै छै।
सीधा-सीधी उŸार माथें,
गांव तिलकपुर आबै छै।। 9।।
तिलका क॑ पकड़ी क॑ लानी,
जे जग्घा ठहराबै छै।
बादोॅ म॑ ≈ गांव तिलकपुर,
वोही सें कहलाबै छै।। 10।।
घोड़ा सें घिसियैनें लानै,
तिलका क॑ जे स्थानों पर।
क्लीवलैण्ड क॑ रहै मारनें,
खेली अपनों जानोॅ पर।। 11।।
बरगद गाछी उल्टा बान्हीं,
भूनेॅ लगलै गोली सें।
तिलका मांझी जरा न दबलै,
कखनूं अपनों बोली सें।। 12।।
≈ जग्घा के नाम तभी सें,
तिलका मांझी कहलाबै।
अपनों जिनगीं भर जे तिलका,
अंग्रेजऽ क॑ दहलाबै।। 13।।
भागलपुर म॑ तिलका नामें,
चौको छै, चौबटिया छै।
बड़का ठो मोहल्ला आरू,
पूरा लम्बा हटिया छै।। 14।।
गुलजारी लाल सही जखनी,
गृहमंत्री पद पर छेलै।
श्रह के दू फूल चढ़ाबेॅ,
तिलका मांझी पर गेलै।। 15।।
अब्दुल ग∂फार करै अर्पण,
श्रहंजलि जब आबी क॑।
उनकोॅ स्वागत पूरा होलै,
गीत मनोहर गाबी क॑।। 16।।
करै भागलपुर प्रशासन,
प्रतिमा स्थापित महा विशाल।
जकरा नीचें लिखवैनें छै,
तिलका जन्म महीना, साल।। 17।।
फरवरी के तारीख ग्यारह,
सदी अठारह साल पचास।
जन्म दिवस तिलका के छेलै,
तिलका मांझी के ही पास।। 18।।
विश्व विद्यालय भागलपुरें,
नाम सजाबै अपनों भाल।
देनें छै एक मूŸार् सुन्दर,
अपनां आंगन एक मिसाल।। 19।।
विधान सभा भवन करनें छै,
अमर शहीदोॅ केरऽ मान।
तिलका मांझी सें बढ़लऽ छै,
अंग जनपदों के सम्मान।। 20।।
स्वतंत्रता संग्रामोॅ केरऽ,
अग्रगण्य सेनानी मान।
अंग क्षेत्र के रचनाकारें,
करनें छै ढेरी गुणगान।। 21।।
अंग क्षेत्र म॑ जन्म दिवस पर,
लोग जयन्ती सदा मनाय।
तिलका मांझी क॑ लेनें छै,
अंगवासियें शीश चढ़ाय।। 22।।
हमरऽ धरती धन्य-धन्य छै,
≈ मैया के ॉदय विशाल।
जौनें देनें छेलै हमरा,
कोखी सें तिलका रड्. लाल।। 23।।
तिलकामाँझी
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Angika Poetry : Tilkamanjhi / तिलकामाँझी
Poet : Hira Prasad Harendra / हीरा प्रसाद हरेंद्र
Angika Poetry Book / अंगिका काव्य पुस्तक - तिलकामाँझी
तिलकामाँझी | चौदहमा सर्ग |अंगिका कविता | हीरा प्रसाद हरेंद्र | TilkaManjhi | Canto-14 | Angika Kavita | Hira Prasad Harendra
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