नवका साल के स्वागत म॑
अंगिका हास्य-व्यंग्य कविता | अंजनी कुमार 'सुमन'
नया नया साल दीखै सगरो कमाल नया,
नया नया ढ़ोंग अरु नया रूप रंग छै।
बारह बजे रात सें ही दोसरो बिहान तक,
मिनट-मिनट बजै फोन के तरंग छै।
साल के संदेशा आबै मैसेज में लिखि-लिखि,
कोय मिसकाॅल मारी करै खाली तंग छै।
बच्चा बच्ची मेम अरु लड़का सयान सभे,
डांस केरो चांस पाबी नाच में पतंग छै।
: : : : : : : : : : : : : :
जंगल में मंगल के मिलि-जुलि गीत गाबै,
प्रेम के पहाड़ा पढ़ै घास के पलंग छै।
कोय जाके रास करै राधिका के संग में त॑,
कोय करै छेड़खानी गोपिका के संग छै।
आबै जाबै लड़की प॑ कोय टिटकारी मारै,
कोय होशियार फूल मारै में सहंग छै।
कोय खींचै झक-झक फोटबा मोबाईल में,
कोनों होशियार फूल मारै में सहंग छै।
: : : : : : : : : : : : :
खान-पान खाबै में शरीफ छै शरीफ लोग,
बड़ी ही शराफत स॑ काटै ऊ जीवंग छै।
कहीं देह नोचै कोय हाली-हाली मछली के,
कहीं मुर्गा के सौंसे कटलऽ अलंग छै।
कोय प्याज काटै,कोय घड़ी-घड़ी पानी लाबै,
लकड़ी तोड़ै ल॑ कोय चढ़लऽ फुलंग छै।
शाकाहारी लोग क॑ त॑ दिन दुर्दीन भेलै,
छुच्छै आलूदम-भात चाखै में ऊ तंग छै
: : : : : : : : : : : : :
नये साल उपजै छै नवका पियांक सब,
लोग तनी-तनी गो पियांक देखि दंग छै।
टगलऽ पियांक गिरै नाली में चितांग जब,
आधे आँख देखि लै छै,सोंसे सरंग छै,
साल के उमंग में छै बंधलऽ ई हाँथ कहाँ,
जेकरा जे बुझबै छै करै वही ढंग छै,
नया साल जेकरा नय देलकै गरीबी मेटी,
नोन ,रोटी,साग पे निभाबै ऊ निहंग छै।
No comments:
Post a Comment