फागुन के खुमारी मं॑
— सुधीर कुमार प्रोग्रामर —
फागुन के खुमारी मं॑, तन-मन अजबारी छै
तन-मन क॑ रंगाबै के, हमरऽ अब॑ पारी छै ।
फागुन के खुमारी मं॑ ..... ॥
खेतऽ मं॑ फसल धरलऽ, लुथनी रंग सब फरलऽ
गदरैलऽ खेसारी के, छिमड़ी अठियारी छै ।
फागुन के खुमारी मं॑ ..... ॥
गम-गम मंजर बेली, होली केरऽ अठखेली
उमतैली जे पछिया के, बहसल सिसकारी छै ।
फागुन के खुमारी मं॑ ..... ॥
कोयल केरऽ किलकारी, मौसम केरऽ बलिहारी
खटरूस टिकोला संग, सतुआ मनोहारी छै ।
फागुन के खुमारी मं॑ ..... ॥
अचरा सं॑ लपेटी क॑, गोदी मं॑ समेटी क॑
चिलका के हुंकारी सं॑, गदगद चिलकारी छै ।
फागुन के खुमारी मं॑ ..... ॥
गोस्सा मं॑ रह॑ बीबी, खोलऽ झटपट टीवी
दूरदर्शन पटना सं॑, मुसकै सुकुमारी छै ।
फागुन के खुमारी मं॑ ..... ॥
Angika Poetry : Fagun Ke Kumari Mein
Poet : Sudhir Kumar Programmar
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