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Saturday, March 11, 2017

फागुन के खुमारी मं॑ | अंगिका कविता | सुधीर कुमार प्रोग्रामर| Angika Poetry | Sudhir Kumar Programmar

फागुन के खुमारी मं॑


— सुधीर कुमार प्रोग्रामर —


फागुन के खुमारी मं॑, तन-मन अजबारी छै
तन-मन क॑ रंगाबै के, हमरऽ अब॑ पारी छै ।
फागुन के खुमारी मं॑ ..... ॥


खेतऽ मं॑ फसल धरलऽ, लुथनी रंग सब फरलऽ
गदरैलऽ खेसारी के, छिमड़ी अठियारी छै ।
फागुन के खुमारी मं॑ ..... ॥


गम-गम मंजर बेली, होली केरऽ अठखेली
उमतैली जे पछिया के, बहसल सिसकारी छै ।
फागुन के खुमारी मं॑ ..... ॥


कोयल केरऽ किलकारी, मौसम केरऽ बलिहारी
खटरूस टिकोला संग, सतुआ मनोहारी छै ।
फागुन के खुमारी मं॑ ..... ॥


अचरा सं॑ लपेटी क॑, गोदी मं॑ समेटी क॑
चिलका के हुंकारी सं॑, गदगद चिलकारी छै ।
फागुन के खुमारी मं॑ ..... ॥


गोस्सा मं॑ रह॑ बीबी, खोलऽ झटपट टीवी
दूरदर्शन पटना सं॑, मुसकै सुकुमारी छै ।
फागुन के खुमारी मं॑ ..... ॥


Angika Poetry : Fagun Ke Kumari Mein


Poet : Sudhir Kumar Programmar

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