अंग जल
गजल -३७
— सुधीर कुमार प्रोग्रामर —
रस्ता-पैरा पर नै फेकोॅ भाँसोॅ-कूसोॅ
नै फेकोॅ धोखा से भी कोय थूक-खखासोॅ।
बोढ़ी-सोढ़ी घोॅर, दीया-बत्ती जे बारै
हौ घर में देवता-पित्तर के छै बासोॅ।
लदर-बदर कोना-कातर कोठी सान्हीं जों
उ घर में परकै छै मोटका-मोटका मूसोॅ।
समझैला पर साफ-सफाई जे नै राखै
माय-दाय देहरी पर जायके ओकरा दूसोॅ।
चिक्कन-चाक्कन रखला से चकचक मनसूआ
मुँह से गिरलोॅ नीमचूस पोछी के चूसोॅ।
Angika Poetry / Gazal : Ang Jal / अंग जल
Poet : Sudhir Kumar Programmar / सुधीर कुमार प्रोग्रामर
Angika Gazal Collection / अंगिका गजल संग्रह - अंग जल

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