अंग जल
गजल -१४
— सुधीर कुमार प्रोग्रामर —
जेठो के दुपहरिया में तरबा गरमाबै छै
पानी छै पतालो में कुइयां खनबाबै छै।
बेटी के लगन लागै, सुतलो सपना जागै
धड़फड़-धड़फड बाबुल, मड़वा छरबाबै छै।
आगिन उगलै चुलहा, मन में नाचै दुलहा
छप्पर के फुलंगी पर, कौवा गहलाबै छै।
पूरबा-पछिया गुमषुम, गुमषुम पीपल गछिया
कोयल गाबी-गाबी हमरा बहलाबै छै।
गल्ला से मिली गल्ला, झुम्मर गाबै छल्ला
हल्दी जे लपेसी के, रगड़ी लहबाबै छै
Angika Poetry / Gazal : Ang Jal / अंग जल
Poet : Sudhir Kumar Programmar / सुधीर कुमार प्रोग्रामर
Angika Gazal Collection / अंगिका गजल संग्रह - अंग जल
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