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Monday, July 4, 2016

अंग जल -१४ | अंगिका गजल | सुधीर कुमार प्रोग्रामर | Ang Jal-14 | Angika Gazal | Sudhir Kumar Programmar

अंग जल


गजल -१४


— सुधीर कुमार प्रोग्रामर —


जेठो के दुपहरिया में तरबा गरमाबै छै
पानी छै पतालो में कुइयां खनबाबै छै।


बेटी के लगन लागै, सुतलो सपना जागै
धड़फड़-धड़फड बाबुल, मड़वा छरबाबै छै।


आगिन उगलै चुलहा, मन में नाचै दुलहा
छप्पर के फुलंगी पर, कौवा गहलाबै छै।


पूरबा-पछिया गुमषुम, गुमषुम पीपल गछिया
कोयल गाबी-गाबी हमरा बहलाबै छै।


गल्ला से मिली गल्ला, झुम्मर गाबै छल्ला
हल्दी जे लपेसी के, रगड़ी लहबाबै छै


Angika Poetry / Gazal : Ang Jal / अंग जल


Poet : Sudhir Kumar Programmar / सुधीर कुमार प्रोग्रामर


Angika Gazal Collection / अंगिका गजल संग्रह - अंग जल

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