अंग जल
गजल -१२
— सुधीर कुमार प्रोग्रामर —
पत्ता फूल हजार भरल छै तुलसी के गाछी में
जीयै के रसधार फरल छै तुलसी के गाछी में
आस-पास के तुलसी-चौरा, घर-घर के रखबारी
दीप-षिखा सासों के बरल छै तुलसी के गाछी में
देव धरा पर लानै लेली तुलसी दोल चढ़ाबै छै
तभीये ते सिन्दूर करल छै तुलसी के गाछी में।
रोग-षोक में माथ झुकाबो, मनचाहा फल पाबो
कत्ते रोग-बतास डरल छै तुलसी के गाछी में।
तुलसी आक्सीजन के जननी, सबके मान बराबर
नफरत के अभिमान जरल छै तुलसी के गाछी में।
नै बरसा नै जोत कोड़ के, रोजे-रोज झमेला
अनुभव के संसार धरल छै तुलसी के गाछी में।
Angika Poetry / Gazal : Ang Jal / अंग जल
Poet : Sudhir Kumar Programmar / सुधीर कुमार प्रोग्रामर
Angika Gazal Collection / अंगिका गजल संग्रह - अंग जल
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